Gun culture in America : क्यों अमेरिका में बेलगाम हैं बंदूकें

 


क्लास के बीच में, चर्च में और यहां तक कि हजारों की भीड़ वाली रैली में भी अचानक से कोई बंदूक निकालता है और शूटिंग शुरू। अमेरिका में लोगों को बंदूकें इतनी क्यों पसंद हैं, क्यों वहां गन कल्चर (Gun culture in America) इतना हावी है, सरकार कुछ करती क्यों नहीं, जानिए uplive24.com पर। 

Gun culture in America- 10 सितंबर 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी सहयोगी Charlie Kirk की एक सभा में सरेआम हत्या कर दी गई।

- 10 तारीख को ही कोलाराडो के एवरग्रीन हाईस्कूल में एक छात्र ने दो साथियों को गोली मारी और फिर खुद को शूट कर लिया।

- इसी साल 27 अगस्त को Minneapolis Catholic Church में प्रार्थना चल रही थी, जब 23 साल के Robin Westman ने गोलियां चलाईं - दो बच्चों की मौत और 17 घायल। हमलावर ने आत्महत्या कर ली। 

ये हालिया उदाहरण हैं अमेरिकी गन कल्चर के (Gun culture in America)। 

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अमेरिका में मास शूटिंग (Mass Shootings) की समस्या लगातार गहराती जा रही है। साल 2025 के पहले आठ महीनों (जनवरी से अगस्त) में ही 309 घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें 302 लोगों की जान गई और 1,354 लोग घायल हुए।

वहीं, साल 2024 में करीब 586 घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 711 लोगों की मौत हो गई और 2,375 लोग घायल हुए। यह संख्या बताती है कि हर दूसरे दिन अमेरिका में कहीं न कहीं मास शूटिंग (Mass Shooting in US) हुई।  

यानी पिछले एक साल में ही हजार से ज्यादा लोगों की जान मास शूटिंग में जा चुकी है। यह स्थिति और भी गंभीर इसलिए है क्योंकि अमेरिका में गन (Gun culture in America) से होने वाली कुल मौतों की संख्या कहीं अधिक है - 2023 में ही करीब 46,728 लोग गन हिंसा (Gun Violence) में मारे गए, जिनमें से लगभग आधे से ज्यादा मामले आत्महत्या के थे। 

फिर भी, मास शूटिंग की घटनाएं इसलिए ज्यादा ध्यान खींचती हैं क्योंकि ये सार्वजनिक जगहों - स्कूलों, चर्चों, यूनिवर्सिटी कैंपस और बाजारों में होती हैं और अचानक सैकड़ों लोगों को दहशत में डाल देती हैं।

इन आंकड़ों से साफ है कि अमेरिका की गन पॉलिसी (Gun culture in America) और सुरक्षा ढांचे पर सवाल लगातार गहराते जा रहे हैं। हर बड़ी घटना के बाद राजनीतिक बहस होती है, रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स एक-दूसरे को दोष देते हैं, लेकिन ठोस समाधान निकलता नहीं दिखता।

लेकिन जो देश एक आतंकी वारदात पर एक दूसरे मुल्क में जाकर 20 साल तक लड़ाई कर सकता है, वह अपने ही देश में सैकड़ों नागरिकों की मौत के बावजूद कोई कदम क्यों नहीं उठा पा रहा? इस सवाल का जवाब जानने के लिए पहले समझना होगा कि अमेरिकी गन कल्चर और गन लॉबी है क्या?

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अमेरिका को क्यों पसंद है बंदूक? (Gun culture in America)

इसका जवाब उनके इतिहास में है। भारत की तरह अमेरिका भी कभी ब्रिटेन का गुलाम था। उसने लेकिन बहुत पहले आजादी की जंग छेड़ दी, 1775 में ही। उस वक्त हर अमेरिकी नागरिक से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह हथियार उठाएगा और ब्रिटिशर्स के खिलाफ जंग में हिस्सा लेगा। 

उस लड़ाई में अमेरिकी जीत गए, पर उन्होंने हथियार रखे नहीं। लड़ाई वाली बंदूकें शिकार खेलने, खेतों में घुस आने वाले जानवरों को भगाने और चोरों-बदमाशों से सुरक्षा के काम आने लगीं। 

संविधान देता है हथियार रखने की इजाजत

अमेरिका का संविधान 1787 में तैयार हुआ था। चार साल बाद ही यानी 1791 में इसमें संशोधन कर नागरिकों को हथियार रखने की इजाजत दे दी गई (Gun culture in America)। इसके पीछे सोच थी कि हर किसी को अपनी और अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने का अधिकार है। बंदूकों के मामले में अमेरिकी संविधान पर इंग्लैंड के संविधान का भरपूर असर पड़ा। इंग्लैंड में 1689 में इंग्लिश बिल ऑफ राइट्स लाया गया था। इसमें भी व्यक्तिगत सुरक्षा पर जोर था। 

लेकिन, जो बंदूक सुरक्षा के लिए मिली थी, वह अमेरिका में संस्कृति (Gun culture in America) का हिस्सा बन गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में आम नागरिकों के पास जितने हथियार हैं, उनमें से आधे केवल अमेरिकियों के घरों में हैं। एक अमेरिकी रिपोर्ट ही कहती है कि यूएस में लोगों के पास 40 करोड़ से ज्यादा गन हैं। वहीं, सेना के पास महज 45 लाख गन हैं और पुलिस के पास तो और भी कम, 10 लाख से कुछ ही ज्यादा। 

क्या अमेरिकी सरकार बंदूकों पर बैन नहीं लगा सकती?

बहुत ही मुश्किल काम है। एक तो वजह है राजनीति। इन घटनाओं के बाद भले ही सभी गन कल्चर (Gun culture in America) के विरोध में बोलने लगते हों, पर बात जब ऐक्शन की आती है, तो धड़े बंट जाते हैं। 

एक सर्वे बताता है कि करीब आधे अमेरिकी बंदूकों पर कड़े क़ानून के पक्ष में नहीं हैं। कई का मानना था कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। कुछ लोग बंदिश तो चाहते हैं, पर पूरी तरह बैन नहीं। और इन सबसे बढ़कर वजह है गन लॉबी। 

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क्या है गन लॉबी और कितनी ताकतवर है?

अमेरिकी सिविल वॉर में हिस्सा ले चुके दो लड़ाकों ने 1871 में नेशनल राइफल एसोसिएशन (NRA) की स्थापना की थी। आज यही अमेरिका की सबसे बड़ी और सबसे ताकतवर गन लॉबी है। वैसे तो इसकी शुरुआत की गई थी राइफल शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए, लेकिन सदस्यों की संख्या बढ़ने के साथ धीरे-धीरे इसने राजनीतिक स्टैंड लेना शुरू कर दिया। 

एसोसिएशन का दावा है कि देशभर में उसके 50 लाख सदस्य हैं। बहुत लोग इसे बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया आंकड़ा बताते हैं। फिर भी सदस्यों की संख्या 30 लाख के आसपास होने का अंदाजा है। 

एसोसिएशन ने अपनी पॉलिटिकल एक्शन कमिटी बना रखी है, जिसका काम ही है राजनीतिक लामबंदी करना। संगठन हर साल करीब दो हजार करोड़ रुपये बस इस बात पर खर्च करता है कि अमेरिका में गन के पक्ष में उठने वाली आवाजें धीमी न पड़ जाएं। 

राजनेताओं पर भी करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं और कई सिनेटर तो खुलकर NRA के पक्ष में बोल चुके हैं। लाखों लोगों का यह संगठन, जिसमें कई पहुंच वाले भी हैं, गन के खिलाफ किसी कड़े कानून को आने नहीं देता।

क्या NRA और बंदूकों पर रोक नहीं लग सकती?

इस बात के प्रयास तो बहुत कर रहा है अमेरिका। जिस तरह बंदूकों के पक्ष में लॉबी है, उसी तरह अब बंदूकों के खिलाफ भी एक धड़ा बन गया है। बताया जाता है कि डोनाल्ड ट्रंप के पहले दौर में एनआरए की फंडिंग बुरी तरह प्रभावित हुई थी। एसोसिएशन की कुछ नीतियों ने उन लोगों को नाराज कर दिया, जो इसे झोला भर-भर डॉलर देते थे। 

वहीं, गन कंट्रोल के समर्थक लोगों को आर्थिक मदद मिली और 2018 में पहली बार ऐसा हुआ, जब NRA से ज्यादा विरोधी पक्ष ने पैसे खर्च किए। हालांकि केवल एक बरस की हार नेशनल राइफल एसोसिएशन के दबदबे को नहीं खत्म कर सकती। 

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क्या अमेरिका में बंदूकों पर कोई कानून नहीं?

कानून हैं, लेकिन वो बंदूकों की खरीद-फरोख्त और उनका इस्तेमाल नहीं रोकते (Gun culture in America), बल्कि केवल कुछ हद तक नियंत्रित करते हैं। मसलन, साल 1934 में नैशनल फायरआर्म्स एक्ट लाया गया था। इसके जरिए कुछ खास हथियारों पर एक्साइज टैक्स लगाया गया और रजिस्ट्रेशन जरूरी हो गया। 

1968 में गन कंट्रोल एक्ट पास हुआ। इसमें बंदूकों को एक स्टेट से दूसरे स्टेट में ले जाने पर पाबंदियां लगाई गईं। कुछ अमेरिकी राज्यों ने असाल्ट वेपंस या कह लें कि सेमी ऑटोमैटिक हथियारों पर रोक या फिर कुछ बंदिशें लगाई हैं। 

लेकिन, लगातार हो रहीं घटनाएं बताती हैं कि इतने सारे कानून भी अपना काम सही ढंग से नहीं कर पा रहे। अमेरिका ने पिछले दो दशक में जितने सैनिक अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में नहीं गंवाए, उससे ज्यादा लोग उसके अपने देश में उन बंदूकों से मारे गए, जिन्हें सुरक्षा के नाम पर खरीदा गया था। 

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